मीन
मीन राशि क्या है?
मीन राशि स्त्री एवं द्वीस्वभाव राशि है। जल तत्व तथा स्वभाव सौम्य है। मीन राशि उत्तर दिशा को सूचित करती है। जाति ब्राह्मण तथा रंग पिंगल बुरा, पीला है। मीन राशि रात बली तथा इनका विचरण स्थान जल है। इस राशि के स्वामी गुरु ग्रह तथा इसमें शुक्र उच्च फल का एवं बुध नीच का फल देते है। मीन राशि के जातकों का कद मध्यम, कई बार छोटा होता है। रंग साफ एवं मस्तक चौड़ा होता है। आंखें बड़ी तथा कुछ बाहर की ओर होती हैं। हल्के व मुलायम काले बाल एवं पट्ठे मजबूत होते हैं, यह तगड़े मजबूत होते हैं, परंतु देखा गया है कि जातक कई बार ढीले, कुछ मोटे होते हैं। ऊपरी अर्धभाग मोटा एवं निचला कुछ पतला होता है।
इनकी दिख अच्छी होती है और यह मधुर वाणी बोलने वाले होते हैं। यह द्वीस्वभाव राशि है, इस प्रकार इनके मन में बेचैनी रहती है। विचारों में परिवर्तन होता रहता है। ये ईमानदार होते हैं। कल्पनाशील एवं विलासी भी होते हैं। यह अपने सम्मान का बहुत ध्यान रखते हैं। इनमें हुकूमत करने की भावना होती है। मिलनसार, मित्रता की चाह एवं बातचीत करने में निपुण होते हैं। इस प्रकार इन में प्रतिशोध की भावना बहुत कम होती है। यह बड़े उदार होते हैं और दिल खोलकर दान देते हैं एवं धन देकर सहायता करते हैं। इस तरह इनका कई बार नुकसान भी होता है। दान अथवा धन देकर यह बड़े प्रसन्न होते हैं। भाई-बहन इनके काफी होते हैं।
साधारणतया इन से बड़ी एक बहन होती है। पारिवारिक जीवन में यह बड़ी सहायता करते हैं। अपने भाई बहनों, परिजनों से अलग होकर यह भटकाव में पड़ जाते हैं तथा सदैव इनके लिए तड़पते रहते हैं। मित्र इनके बहुत होते हैं परंतु एक कुछ सांवले रंग का मित्र इनका नुकसान करता है। पढ़ाई के क्षेत्र में यह बड़ी डिग्रियां प्राप्त करते हैं। कला विज्ञान में विशेष रूचि रखते हैं। साहित्य में भी इनका पूरा लगाव होता है। यह गुप्त विद्या/ ज्ञान प्राप्त करने की इनकी तथा लालसा होती है। इन का फिलॉस्फी की ओर भी झुकाव होता है। मीन राशि के जातक सुंदर पत्नी/ पति पसंद करते हैं। इनके मन में यह बड़ी लालसा होती है।
यह समझदार एवं साहित्य कला में निपुण पत्नी को ही पसंद करते हैं। इनका स्वभाव शक्की भी होता है। दो विवाह योग होते हैं। क्योंकि इनका स्वभाव बदलता रहता है अतः इनकी पत्नी को उसके अनुसार डरना पड़ता है। गृहस्थ जीवन सुखी होता है। कई बार विचारों के परिवर्तन एवं संदेही स्वभाव के कारण घरेलू जीवन के शांत सागर में कुछ बवंडर भी उठते हैं, जिनका प्रभाव बच्चों पर भी पड़ता है। इनके बच्चे अधिक होते हैं तथा एक लड़का और एक लड़की तो अवश्य ही होते हैं। क्योंकि यह एकाधिक कामों में समान रूप से सक्षम होते हैं अतः यह काफी धन अर्जित करते हैं। इस प्रकार यह खुले दिल से दान देते हैं तथा धन देकर सहायता भी करते हैं।
निपुण होने के कारण अपने काम को भी आसानी से बदल लेते हैं। यह अच्छे अभिनेता, संगीतकार, डॉक्टर, मंत्री, राजनीति में, बैंकों के मैनेजर, कोषाध्यक्ष, बड़ी बड़ी दानी संस्थाओं के इंचार्ज अथवा प्रधान, आयात, निर्यात के कार्यों में सफल होते हैं। यह तरल पदार्थों से बनी वस्तुओं के भी व्यापारी बनते हैं। सरकारी स्थाई नौकरी विशेषकर जल सेना/ नेवी में लाभ कमाते हैं। इनमें व्यापार संबंधी भी पूरी भावना होती है। यह खर्च भी करते हैं परंतु धन को संभालने का ढंग कोई इनसे सीखे। साधारण प्राकृतिक क्रमानुसार इस राशि का घर बारवाँ है। यदि बारहवें घर राहु जैसे ग्रह बैठ जाएं या गुरु भी साथ बैठ जाएं तो जातक को गृहस्थ कार्यों में बहुत धन व्यय करना पड़ता है। यात्राएं लंबी एवं आम होती हैं। जीवन में कई बार अधिक समय घर से बाहर रहना पड़ता है । जीवन के
1,3,5,6,7,9,10,12,15,16,19,21,22,24,25,27,29,30,33,35,36,37,39,42,45,51,52,57,59,60,63 वे वर्ष में पढ़ाई, शादी विवाह, संतान, कारोबार, स्वास्थ्य, कारोबार में उन्नति, नौकरी, नौकरी की पदोन्नति जैसी विशेष घटनाएं इन्हीं वर्षों में घटती हैं। आयु का 12 वर्ष इनके लिए विशेष महत्व का होता है। इनका स्वास्थ्य ठीक एवं औसत रहता है। परंतु यह प्रसन्न रहते हैं। पुरुष जातक को गुप्तांग रोग एवं स्त्री जातक को चर्म रोग की संभावना रहती है। हृदय रोग, नेत्र रोग, पैरों का पसीना रोग, बुखार, बवासीर, , हर्निया, कम सुनना, आवश्यक तत्वों की कमी, अधिक प्यास आदि विकार होते हैं । इन्हें पीने की भी आदत पड़ जाती है। रात को क्लबों आदि में बैठकर यह पीने का मज़ा लेते हैं। मीन राशि के जातकों के लिए मीन राशि के जातकों के लिए बृहस्पतिवार तथा तीन की संख्या शुभ होती है। 9, 6 की संख्या भी समान रूप से शुभ है। इनका शुभ रतन पीला पुखराज है। पीला पुखराज धारण करना मीन राशि वाले जातकों के लिए फलदायक होता है।

2022 आपके लिए क्या मायने रखता है?
मीन राशि के लिए 2022 में राशि स्वामी गुरु वर्ष प्रारंभ में 29 मार्च तक, पुनः 30 जून से 19 नवंबर तक राशिगत (धनु) संचार करने से व्यवसाय में व्यस्तता तथा आय में धीरे-धीरे व्रिधि होती रहेगी। 8 फरवरी 21 मार्च तक इस राशि पर मंगल की दृष्टि होने से तनाव व घरेलू उलझनों के कारण गुप्त चिंताएं बनी रहेंगी। जनवरी में गुरु स्वराशि धनु में होने से अचानक धन प्राप्ति के साधन बढ़ेंगे और नौकरी में उन्नति के अवसर प्राप्त होंगे। धार्मिक कार्यों की ओर प्रवृत्ति रहेगी। किसी मित्र के सहयोग से नया कार्य आरंभ होगा। आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। फरवरी में शनि की तृतीय तथा 8 तारीख से मंगल की दृष्टि रहने से स्वास्थ्य तथा घरेलू उलझनों के कारण तनाव एवं गुप्त चिंताएं रहेंगी।
13 फरवरी से सूर्य भी द्वादशभाव में होने से अचानक खर्च आशातीत रूप से बढ़ेंगे। मार्च में शनि की दृष्टि तथा सूर्य द्वादशभाव में होने से संघर्षपूर्ण परिस्थितियों का सामना रहेगा, परंतु निर्वाह योग्य आय के साधन बनते रहेंगे। 14 मार्च से सूर्य का संचार होने से क्रोध और उत्तेजना अधिक रहेगी। निकट बंधुओं से विचार- वैमनस्य रहेगा। अप्रैल में गुरु राशि स्वामी नीच राशिगत संचार करने से भाई बंधुओं एवं पत्नी से विचार- वैमनस्य, क्रोध एवं उत्तेजना से कोई बना हुआ कार्य बिगड़ सकता है। आर्थिक योजनाओं के कारण मन अशांत रहेगा। महीने गुरु नीच राशिगत एवं शनि की दृष्टि होने से कुछ सोची हुई योजनाओं में विघ्न बाधाएं एवं धन का खर्च अधिक होगा। दूर स्थान की यात्राएं, वृथा भागदौड़ एवं व्यवसाय का क्षेत्रों में भी आशा अनुकूल लाभ में कमी रहेगी।
जून में कार्यक्षेत्र में विघ्नों के बावजूद स्थिति कुछ अनुकूल होने के आसार बढ़ेंगे। कुछ सोची योजनाओं में आंशिक सफलता मिलेगी। गुप्त चिंता, अज्ञात भय, पेट में लीवर में खराबी के कारण विभिन्न परेशानियों का सामना रहेगा। राशि स्वामी गुरु पुनः दशम स्थान स्वराशिगत होने से धर्म-कर्म आध्यात्मिक कार्यो की ओर प्रवृत्ति रहेगी। परिवार में भाई बंधुओं का सहयोग प्राप्त होगा। मंगल का संचार होने से क्रोध / आवेश के कारण कोई कार्य बिगड़ सकता है। अगस्त में भागेश मंगल लग्न तथा द्वितीय स्थान में गुरु स्वराशि में रहने से संघर्षपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद व्यवसायिक क्षेत्रों में धन लाभ व उन्नति के योग हैं। व्यवसायिक वस्तुएं बढ़ेंगी। धर्म एवं आध्यात्मिक क्षेत्रों में रुझान बढ़ेगा। अचानक धन प्राप्ति के साधन बढ़ेंगे। सितंबर महीने में निर्वाह योग्य आय के साधन बनते रहेंगे। धन का अधिक खर्च विलासदि कार्यों पर खर्च अधिक होगा। 16 सितंबर से शनि के साथ सूर्य की भी दृष्टि होने से क्रोध अधिक रहेगा। जिसके कारण दांपत्य जीवन में कुछ मतभेद और धन का लेनदेन करते विवाद हो सकता है।
अक्टूबर महीने में सूर्य की दृष्टि तथा 17 से सूर्य अष्टम स्थान में होने से स्वास्थ्य परेशानी, सिर दर्द तथा क्रोध अधिक रहेगा। कार्यक्षेत्र में दौड़-धूप अधिक, धन लाभ के साथ-साथ खर्च में वृद्धि, धर्म-कर्म में रोज एवं शुभ कार्य भी संपन्न होगा। 15 नवंबर तक सूर्य अष्टम स्थान में रहने से स्वास्थ्य विकार तथा कार्यों में विलंब उत्पन्न होंगे। 16 नवंबर के बाद भाग्य अवश्य आय के साधन बनेंगे। परंतु परिवार में तनाव एवं मतभेद भी रहेंगे। दिसंबर में गुरु नीच राशि होने से निकटतम भाई बंधुओं से तनाव, संतान संबंधी चिंता तथा पति/ पत्नी का स्वास्थ्य ढीला रहेगा। 16 के बाद धन लाभ व उन्नति के अवसर प्राप्त होंगे। पारिवारिक सुख में वृद्धि तथा कहीं यात्रा का भी प्रोग्राम बन सकता है।
