वृषभ
वृषभ राशि क्या है?
वृषभ राशि : वृषभ राशि पृथ्वी तत्व राशि है। स्वभाव सौम्य, दक्षिण दिशा की मालिक, वैश्य जाति, रंग दही जैसा सफेद होता है। वृषभ राशि का स्वामी शुक्र ग्रह होता है। चंद्रमा इस राशि में नीच के रहते हैं। इस राशि वाले जातकों का कद मध्यम, ललाट चौड़ा, कंधे चौड़े, सुगठित एवं मोटे, आंखें चमकदार, बाल काले तथा कई बार आगे से घुंघराले होते हैं। कई बार मुंह पतला, शरीर भारी भरकम होता है। इस राशि के लोग घमंडी, अभिमानी, गुस्से वाले, भड़क पढ़ने वाले, अपने आप में मस्त, खाने-पीने का शौकीन तथा अपनी ही धुन में मस्त रहना इनके विशेष गुण है। वृषभ राशि पृथ्वी तत्व राशि है। इनमें सहनशक्ति व धैर्य बहुत होता है। यह परिश्रमी होते हैं तथा लंबे समय तक कार्य में लगे रहते हैं। यदि इनको अधिक छेड़ा जाए तो यह क्रोधित हो जाते हैं और सब कियाधरा बिगाड़ देते हैं, छेड़ने वाले को भी हानि व कठिनाई में डाल देते हैं और फिर जल्दी काबू में नहीं आते तथा देर बाद शांत होते हैं।
सब्र संतोष के साथ काम में जुड़ जाते हैं एवं अवसर की ताक में रहते हैं। यह जिद्दी होते हैं। दृढ़ता और सख्त ज्ञान होना भी इनके विशेष गुण होते हैं। यदि इन्हें प्रेम से कोई काम दिया जाए तो यह स्वय्म करते हैं और करवाने वालों की शाबाशी प्राप्त करते हैं। इनकी स्मरणशक्ती बहुत होती है एवं ईर्ष्यालु तो यह होते ही हैं, भौतिक जगत में विचरण करके यह प्रसन्न होते हैं । किसी भी बात को वर्षों तक मन में रखते हैं, भुलाते नहीं और अपने मन की बात किसी और को बताते नहीं जब तक इनका उद्देश्य पूरा ना हो जाए। ये दिया गया लक्ष्य पूर्ण करना अपना कर्तव्य समझते हैं। इन्हें जीवन में काफी काम कुछ स्वयं करना पड़ता है। उत्तम भोजन, सुगंधित वस्तुएं, उत्तम वस्त्र, दूसरों की खातिरदारी भी खूब करते हैं, गाने बजाने की प्रेमी, विलासी एवं कार्य व्यवहार में कुशल होते हैं । सांसारिक सुखों एवं धन एकत्रित करने की और अधिक रूचि लेते हैं। धन खर्च खर्च करने में साधारणतया कंजूस भी होते हैं।
वृषभ राशि वाले लोग पढ़ाई लगन व मेहनत के साथ करते हैं। यदि ग्रहों की स्थिति ठीक हो तो अपनी लगन व मेहनत से यह सफल होते हैं। यह अकेले कम ही होते हैं । इन के भाई-बहन होते हैं । यदि भाइयों की जोड़ी हो तो माता-पिता को इन पर बड़ा गर्व होता है तथा माता पिता के आदर, सम्मान व धन में व्रिधि करते हैं । प्रेम संबंध, मित्रता मजबूत एवं स्थाई होती है मित्रों तथा परिजनों का स्नेह, प्रेम इन्हें मिलता है। इस प्रकार समाज में मान- मर्यादा अच्छी होती है। यह अच्छे पति या पत्नी होते हैं । गृहस्थ जीवन आनंद में होता है। अपने जन्म स्थान के साथ इनका बहुत लगाव होता है। पति-पत्नी में खूब पटती है, परंतु यदि लग्न पर अशुभ प्रभाव पड़ता हो तथा शुक्र की स्थिति ठीक ना हो तो यह परस्त्रीगामी व कामुक भी होते हैं।
मेरे अनुभव में यह प्राय: आया है। के यदि शुक्र तीसरे घर में राहु के साथ हो तो पत्नी के अतिरिक्त अन्य स्त्री के साथ सहज ही स्थाई संबंध बन जाते हैं । यदि शुक्र चौथे घर में चंद्रमा के साथ बैठा हो तो यह दोनों ग्रह स्त्री ग्रह हैं, ऐसे जातक के घर में 2 स्त्रियां होंगी अथवा अपनी स्त्री के अतिरिक्त अन्य स्त्री के साथ संबंध होंगे। विवाह साधारण रूप से 24 -25 वर्ष तक हो जाता है । संतान की ओर सावधानी की आवश्यकता होती है। विशेषकर पुत्र की तरफ विशिष्ट ध्यान देने की जरूरत होती है।
धन कमाने के लिए यात्राएं अधिक करनी पड़ती है। यात्राओं में कई बार रोग एवं दुख झेलने पड़ते हैं। क्योंकि शुक्र इस राशि का मालिक है तथा यह स्थिर राशि है, भोग विलास की वस्तुओं, क्रीम पाउडर, गहने, रत्न, सजावटी चीजों का यह व्यापार करते हैं । कृषि एवं हाथों से काम करने में विशेष रूचि होती है। सुनार की दुकान, होटल, अभिनेता, संगीतकार, फिल्म प्रोड्यूसर, समाज व जनसेवक मेटरनिटी होम, नर्सिंग होम, विभागीय अधिकारी एवं सेना में भी सफलता अर्जित करते हैं। संपत्ति प्राप्त करते हैं तथा आर्थिक स्थिति अच्छी होती है। यदि ग्रहों की स्थिति प्रतिकूल हो तो यह आलसी हो जाते हैं एवं आर्थिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ता है ।
आयु के 15 वे,18,21,22,24,25,28,29,31,33,35,36,39,41,42, 45 वे, वर्ष विशेष महत्व यथा पढ़ाई, विवाह, नौकरी, संतान आदि के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
खाने-पीने के बहुत शौकीन तथा कई बार अधिक खा जाते हैं । आहार की अनियमितता एवं अधिक परिश्रम करने के कारण कई बार स्वस्थ खराब हो जाते हैं। पानी से डरते हैं। नेत्र रोग, गले, नाक, फेफड़े के ऊपरी भाग के रोग, चर्म, मांसपेशियां, पेट गैस, बदहजमी भी हो जाती है। कई बार पेशाब रुक-रुक कर आने लगता है, अंगों पर खारिश भी हो जाती है।
शुक्र का दिन, दही रंग सफेद तथा 6 की संख्या इनके लिए शुभ है । 3 एवं 9 की संख्या तथा हल्का पीला रंग भी अनुकूल है। हीरा, एलुमिनियम अथवा चांदी की अंगूठी में, जो 2.5 रति से ऊपर हो, कनिष्ठा उंगली में शुक्रवार को धारण करना शुभ फलदायक है। पन्ना, फिरोजा भी शुभ फलदायक रहेंगे ।
2022 आपके लिए क्या मायने रखता है?
वृषभ राशि: साल 2022 में इस राशि पर राहु का संचार तथा राशि स्वामी शुक्र आठवें घर सूर्य के साथ मंगल आदि ग्रहों के साथ संचार करने से बनते कार्यों में विघ्न बाधाओं का सामना रहेगा। इस समय में स्वास्थ्य संबंधी विशेष सावधानी आपको रखनी पड़ेगी। खर्च भी इस समय आपके अधिक बढ़ सकते हैं। 12 जनवरी से शुक्र उदय होने से रुकावटें के बावजूद निर्वाह योग्य आय के साधन बनते रहेंगे। 30 दिसंबर 2021 से 26 फरवरी 2022 तक शुक्र धनु राशि में रहेंगे जिससे कि अवांछित स्थान-परिवर्तन से परिवार में कलह-क्लेश रहेगा। वृथा यात्रा, मानसिक तनाव रह सकता है।
27 फरवरी से शुक्र भाग्य स्थान में मकर राशि में प्रवेश करने से मान सम्मान एवं प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। व्यवसाय में अचानक लाभ प्राप्ति के अवसर प्राप्त होंगे। भाग्य आपका पूर्ण रूप से साथ देगा और पराक्रम में वृद्धि होगी। शत्रु पर इस समय आप की विजय प्राप्त होगी और सभी कामों में इस समय आपको सफलता प्राप्त होगी।31 मार्च से 27 अप्रैल तक वृषभ राशि के लिए शुक्र बृहस्पति के साथ दशम भाव में कुंभ राशि में गोचर करेंगे। जिसकी वजह से यह समय आपके लिए अच्छा नहीं रहेगा। इस समय में आपको परेशानियों एवं विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा। पारिवारिक परेशानियों से आप ग्रस्त रहेंगे।
12 अप्रैल से राहु मेष राशि में गोचर करेंगे और आपकी कुंडली में बारहवें घर में गोचर करेंगे जिससे कि शत्रु आप पर प्रभावी रहेंगे। कानूनी मामलों में इस समय आपको हार का सामना करना पड़ सकता है। शत्रु इस समय में आपको परेशान करेंगे और कर्जे की स्थिति इस समय आपको परेशान कर सकती है। 27 अप्रैल से 23 मई तक शुक्र अपनी उच्च राशि में रहेंगे। जिससे कि अकस्मात धन लाभ के योग बनेंगे। व्यवसाय में इस समय अच्छा लाभ प्राप्त होगा और इस समय सभी परेशानियों से मुक्ति होगी। 23 मई से 18 जून तक मेष राशि में होने से सभी कार्यों में विघ्न बाधाओं का सामना करना पड़ेगा और खर्च भी अधिक रहेंगे। वाहन एवं मनोरंजन अधिकारियों पर खर्च विशेष होगा।18 जून से 13 जुलाई तक शुक्र वृश राशि में अपने ही घर में गोचर करेंगे जिससे कि अकस्मात धन लाभ, मान सम्मान में वृद्धि तथा बिगड़े कार्यों में सुधार होने के योग बनते हैं।
13 जुलाई से 16 अगस्त तक शुक्र कर्क राशि में रहेंगे। इस समय मंगल की दृष्टि होने से व्यवसाय में निर्वाह योग्य धन प्राप्त होंगे। अप्रत्याशित खर्चों के कारण घर में अशांति का माहौल होगा। इस समय में आपको घरेलू समस्याएं अधिक रहेंगे।16 अगस्त से 15 सितंबर तक शुक्र सिंह राशि में रहेंगे। शुक्र पर गुरु की भी वक्री दृष्टि रहने से अत्यंत कठिनाइयों के बावजूद ही निर्वाह योग्य आय के साधन बनेंगे। पराक्रम में वृद्धि, धर्म स्थान की यात्रा एवं परिवार की खुशी के अवसर भी मिलेंगे।17 सितंबर से 16 अक्टूबर तक शुक्र कन्या राशि में रहेंगे। इस समय में आप नए लोगों के संपर्क में आएंगे। कर्जे से आपको मुक्ति मिलेगी। बिगड़े 18 अक्टूबर से 11 नवंबर तक शुक्र तुला राशि में रहेंगे। शुक्र अपनी स्वराशि में होने से बिगड़े कामों में सुधार, बिगड़े काम बनने के योग तथा अचानक से धन मिलने के योग बनाते है। संतान की तरफ से शुभ समाचार मिलने की योग भी इस समय में प्रबल हैं।
बिगड़े हुए काम बनेंगे, कारोबार में तरक्की होगी और व्यवसाय के साधन बनेंगे।11 नवंबर से 5 दिसंबर तक शुक्र वृश्चिक राशि में रहेंगे। शुक्र की पूर्ण दृष्टि लग्न पर होने की वजह से आपको शारीरिक कष्ट, पत्नी के साथ वाद विवाद, विवाह में रुकावट और गृह क्लेश की वजह से मानसिक अशांति होने के योग बनते हैं।6 दिसंबर से 28 दिसंबर तक शुक्र धनु राशि में रहेंगे। शुक्र के आयु के घर में होने की वजह से स्वास्थ्य परेशानी, गुप्त रोग, शारीरिक कष्ट एवं पेट संबंधी विकार के कारण परेशानी बनी रहेगी।